Tuesday, December 21, 2010

दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !

स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
                       
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !
मन मंदिर की ज्योत जगा दे , घट घट के वासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!
मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी ना दिखे सूरत तेरी !
युग बीते ना आई मिलन की पूर्णमासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!
द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर मैं गूंगा बोले !
अंधा देखे लंगडा चलकर पहुंचे कासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!
स्वीटी राधिका राधे-राधे

10 comments:

  1. दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !

    मन मंदिर की ज्योत जगा दे , घट घट के वासी रे !!
    दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!

    मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी ना दिखे सूरत तेरी !
    युग बीते ना आई मिलन की पूर्णमासी रे !!
    दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!

    द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर मैं गूंगा बोले !
    अंधा देखे लंगडा चलकर पहुंचे कासी रे !!
    दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!

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  2. ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!
    प्रेमवालों ने कब वक्त पूछा
    तेरे द्वारे पे आने को प्यारे !
    यहाँ पल-पल पे होती है पूजा
    सर झुकाने की फुर्सत नहीं है !1
    ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!
    जिसके दिल में बसे श्याम प्यारे
    वोह तो होते हैं जग से न्यारे !
    जिसकी नज़रों में प्रीतम बसे हैं
    वो नज़र फिर तरसती नहीं है !!
    ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!
    जो असल में हैं मस्ती में डूबे
    उनको परवाह नहीं है किसी की !
    जो उतरती और चढ़ती है मस्ती
    वोह हकीकत में मस्ती नहीं है !!
    ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!

    राधे-राधे

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  3. राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    श्याम देखा - घनश्याम देखा !
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने मथुरा मैं देखा !
    बंसी बजाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने गोकुल मैं देखा !
    गैया चराते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने वृन्दावन मैं देखा !
    रास रचाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने गोवेर्धन मैं देखा !
    गोवेर्धन उठाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने सर्वजन मैं देखा !
    राधा राधा जपते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    श्याम देखा - घनश्याम देखा !
    ओ बंसी बजाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!

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  4. कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरि:!
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is full of love for Krishna, and Hari (Krishna) is full of love for Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णस्य द्रविणं राधा राधाया: द्रविणं हरि !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    The essence of Krishna is Radha, and the essence of Radha is Krishna. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णप्राणमयी राधा राधा प्राणमयो हरि !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is the life of Krishna, and Krishna is the life of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णद्रवामयी राधा राधा द्रवोमयो हरि: !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is the sport of Krishna, and Krishna is the sport of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णगेहे स्थिता राधा राधागेहे स्थितो हरि :!
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is situated in the home of Krishna and krishna is situated in the home of radha . in the wealth like life may radha and kishna be the course of my soul
    jay-jay shri radhe-shyam

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  5. प्रेम से बोलें - राधे-राधे


    प्रेम से बोलें
    राधे-राधे
    हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे!
    हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे !!

    !!मधुराष्टकं!!


    अधरं मधुरं वदनं मधुरं - नयनं मधुरं हसितं मधुरम्!
    हदयं मधुरं गमनं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    वचनं मधुरं चरितं मधुरं - वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
    चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर:- पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
    नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गीतं मधुरं पीतं मधुरं - भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
    रुपं मधुरं तिलकं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    करणं मधुरं तरणं मधुरं - हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
    वमितं मधुरं शमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गुन्जा मधुरा माला मधुरा - यमुना मधुरा वीची मधुरा।
    सलिलं मधुरं कमलं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गोपी मधुरा लीला मधुरा - युक्तं मधुरं भुक्तं मधुरम्।
    दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
    गोपा मधुरा गावो मधुरा - यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
    दलितं मधुरं फलितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥

    ॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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  6. रघुनन्दन कृपा करी मिले रामचरित के गान ! प्रेम बढ्यो-श्रद्धा बढ़ी बनी श्रीजी सों पहिचान !!
    गावत रहूँ तुलसी सुधा सूरदास के बोल ! मीरा जी की भावना गिरधर-गिरधर तोल !!
    नाम स्मरण चैतन्य से सीखो कीर्तन रंग ! स्वामी श्री हरिदास को नित्य बिहार प्रसंग !!
    श्री हित हरिवंश की रीत में प्रीत प्रगट भई आय ! राधावल्लभ लाडिले मेरो मन तोकूँ ही ध्याय !!
    वृन्दावन में वास कर श्रीजी पदानुराग ! रसिकन संग वर्णन करूँ प्रियतम प्रीति भाग !!
    "स्वीटी राधिका"प्रमुदित सदा भक्ति-भक्त संयोग ! भगवंतहु सम्मुख सदा श्रीजी कृपा के योग !!

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  7. friends, these are nine type's of devotion
    lord rama is telling bhakti-mati mata shabariji...
    प्रथम भगति संतन्ह कर संगा ! दूसरी रति मम कथा प्रसंगा !!
    गुरु पद पंकज सेवा - तीसरी भगति अमान !
    चौथी भगति मम गुन गन- करइ कपट तजि गान !!
    मंत्र जाप मम दृढ बिस्वासा ! पंचम भजन सो बेद प्रकासा !!
    छट दम सील बिरति बहु करमा ! निरत निरंतर सज्जन धरमा !!
    सातंव सम मोहि मय जग देखा ! मोतें संत अधिक करि लेखा !!
    आठँव जथा लाभ संतोष ! सपनेहूँ नहीं देखई पर दोषा !!
    नवम सरल सब सन छल हीना ! मम भरोस हियँ हरष न दीना !!
    --------------------------------------------------------------------------जय-जय सिया राम-जय-जय सिया राम-जय-जय सिया राम

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