Sunday, January 9, 2011

प्रेम रस चिंतन

sweetie how sweet taste in mine shriji 's sweets 


"स्वीटी" भये बड़ भाग मेरे - प्रिया लाल दरश करिके प्यारे !
प्रिया लाल को हैं चखाय रहीं - भक्तन ने परोसे भोग न्यारे !!
तबहि एक लड्डू कर लीनो - मेरे लाल प्रिया के मुख दीन्हो !!
प्रिया प्रेम मगन माखन लेके - लालन मुख पे सब मलदीन्हो !!
शोभा कूँ निरखि धनि भगत भये - प्रिया रस के समर्पण चित कीन्हो !!
"स्वीटी" प्रेम  उजागर को - "स्वीटी राधिका " कहि आनंद लीन्हो !!
पुनि टेर जो लगी राधे-राधे - वृन्दावन रस  प्रगट कीन्हो  !!
कहे "अहम् हरे " सुनो भक्त-संत - मेरो कान्ह "स्वीटी" नाम धरि लीन्हो !! 
मैं पुन्हि पूछो "स्वीटी-राधिका" कहि के -  श्रीजी के कर कैसो रस चीन्हो !!
"स्वीटी" में जान्यो-पहिचानो - मो संग न छिपाए रह पाओ !
तुम यसुमति सुत नन्द के लाला - राधिका राधे-राधे गाओ !!
मैं माने नहीं मानुंगो प्रभु - तुम हटिकाओ या वरिजाओ  !
तोहे करिके प्रचारित सब जग में - कहूँ मिलके राधे-राधे गाओ !!
"स्वीटी राधिका राधे-राधे "
"यसुमति नंदन राधे-राधे "
"श्री राधावल्लभ राधे-राधे "
"मदनमोहन जी  राधे-राधे "
"बाँके बिहारी राधे-राधे "
स्वीटी राधिका राधे-राधे
सुनहु लाल-गोपाल हार कैसे मानूँ मन सों !!
भटकत-भटकत हारी अब तो कल न परे कितु ओर !
सांवरिया भयो जीवन दुस्कर जाने कब आवेगी भोर !!
तेरे गुण तेरी अभिलाषा धारि के मन संतोष !
क्या मैं था क्या फल मैंने पाया प्यास बड़ी मिली ओस !!
तृष्णा निरी सतावै हिय कूँ मति ऐसी अकुलाय !
का बर्षा के लाभ प्रभु मेरे जब जीवन कृषि सुखजाय !!
जो-जो मार्ग रचे मन मूरख अन्धकार ही पाय !
भाग्य बिधाता दया करो क्यूँ न तुम मेरे रवि बन जाओ !!
शरण तिहारी हे गिरधारी करहु कृपा की कोर !
स्वामिनी श्यामा कहौ लाल सों नेकु तकि लें मेरी ओर !
तेरे भरोसे श्री राधेजू नाम श्याम के गाउँ !
'स्वीटी राधिका राधे-राधे' कहि-कहि मन हर्षाउँ !! 
हार होय तो होय स्वामिनी न छूटे अभिलाषा !
प्रियतम श्याम हमारे स्वामी मैं श्यामाजू की दासा !!
जानूँ प्रीत की रीत तिहारी क्लेश नहीं कछु सों !
सुनहु लाल-गोपाल हार कैसे मानूँ मन सों !! 
प्रेम रस चिंतन


Tuesday, December 21, 2010

दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !

स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
स्वीटी राधिका राधे-राधे
                       
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !
मन मंदिर की ज्योत जगा दे , घट घट के वासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!
मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी ना दिखे सूरत तेरी !
युग बीते ना आई मिलन की पूर्णमासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!
द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर मैं गूंगा बोले !
अंधा देखे लंगडा चलकर पहुंचे कासी रे !!
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!
स्वीटी राधिका राधे-राधे